गणेश चतुर्थी 2025 कब है? क्यों मनाते हैं? और गणपति स्थापना की संपूर्ण विधि

हिंदू पंचांग के मुताबिक गणेश चतुर्थी की शुरुआत हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होती है। इस साल चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 बजे से होगी और इसका समापन 27 अगस्त 2025 को दोपहर 03:44 बजे होगा।
उदयातिथि के अनुसार यह पर्व बुधवार, 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा और इसी दिन से गणेश उत्सव प्रारंभ होगा।
गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व
गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व अत्यंत प्राचीन और गूढ़ है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। इस पर्व का मूल आधार भगवान गणेश के जन्म से जुड़ा है, जिन्हें विघ्नहर्ता, बुद्धि, समृद्धि और शुभकामनाओं के देवता के रूप में पूजनीय माना जाता है। पुराणों के अनुसार, पार्वती माता ने भगवान शिव की अनुपस्थिति में अपने शरीर की मिट्टी से एक पुत्र का निर्माण किया, जो बाद में गणेश के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। इस कथा में अनेक रहस्य और गूढ़ अर्थ निहित हैं, जो जीवन के विविध पक्षों को समझने में मदद करते हैं।
गणेश चतुर्थी का दिन, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में विश्वभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है, जो विभिन्न समुदायों को एक साथ जोड़ता है। गणेश जी को सभी कार्यों की शुरुआत में पूज्य माना जाता है क्योंकि वे बाधाओं को दूर करने वाले हैं; इसलिए व्यापार, अध्ययन, विवाह, गृह प्रवेश या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पूर्व उनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?
गणेश चतुर्थी मनाने के पीछे गहरा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारण निहित है, जो इसे केवल एक धार्मिक उत्सव से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। सबसे पहले, इस दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव होता है, जिन्हें विघ्नों का नाशक और बुद्धि के देवता के रूप में पूजनीय माना जाता है। जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने के लिए गणेश जी की भक्ति आवश्यक मानी जाती है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनकी पूजा से ही होती है।
गणेश चतुर्थी के दौरान सामूहिक पूजा, भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रसाद वितरण के माध्यम से सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, यह पर्व पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता भी फैलाता है, क्योंकि आजकल मिट्टी की मूर्तियों और पर्यावरण मित्र पूजा सामग्री का प्रयोग बढ़ रहा है। गणेश चतुर्थी की विशेषता यह भी है कि यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक आनंदमय उत्सव है, जिसमें परिवार और समाज के सभी सदस्य मिलकर खुशियां बांटते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में भगवान गणेश के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
गणपति स्थापना की पूरी विधि
1. पूजा स्थल की तैयारी
- घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा स्थल चुनें।
- स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और लाल या पीली चादर से सजाएँ।
- फूल, पत्ते और रंगोली से वातावरण को पवित्र बनाएं।
- गणेश जी की मूर्ति के लिए एक चौकी या आसन रखें।
2. गणपति स्थापना सामग्री
- भगवान गणेश की मूर्ति (विशेषकर मिट्टी की मूर्ति सर्वोत्तम मानी जाती है)।
- पुष्प: लाल, पीले, सफेद फूल – गुलाब, गेंदा, कमल।
- दूर्वा घास – गणेश जी को अत्यंत प्रिय।
- पूजा सामग्री: हल्दी, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)।
- नारियल, मोदक (गणेश जी का प्रिय भोग), फल, दीपक, कपूर, अगरबत्ती।
गणपति का प्रिय मंत्र:
“ॐ गं गणपतये नमः॥”
इस मंत्र का 108 बार जप करने से मन, बुद्धि और जीवन में सकारात्मकता आती है।
3. स्थापना और पूजा विधि
- गणेश जी का पंचामृत से अभिषेक करें।
- मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
- दूर्वा, मोदक और फल चढ़ाएँ।
- अंत में गणेश जी की आरती करें और “जय गणेश जय गणेश देवा” गाएँ।
गणेश चतुर्थी हमारे जीवन में क्यों जरूरी है?
गणेश चतुर्थी हमारे जीवन में केवल पूजा का अवसर नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का प्रतीक भी है।
- गणेश जी हमें सिखाते हैं कि धैर्य, बुद्धि और विवेक के साथ हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
- वे बाधाओं को दूर करने वाले और सफलता देने वाले देवता हैं।
- यह पर्व समाज में एकता, प्रेम और सहयोग की भावना को प्रबल करता है।
- गणेश जी के विशाल कान हमें सुनना सिखाते हैं, छोटी आँखें एकाग्रता सिखाती हैं, बड़ा पेट सहनशीलता और ज्ञान को आत्मसात करने की क्षमता सिखाता है।
गणपति श्लोक:
“शुक्लांबरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥”
अर्थात् – जो श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, शशि के समान गौरवर्ण, चार भुजाओं वाले और प्रसन्न मुखमंडल वाले भगवान गणेश हैं, उनका ध्यान करने से सभी विघ्नों का नाश होता है।