कुबेराक्ष पौधा क्यों लगाएं धनतेरस पर? जानिए शुभ कारण

धनतेरस का त्योहार केवल धन प्राप्ति का पर्व नहीं, बल्कि आरोग्य, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान धनवंतरी, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की आराधना करने से जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
इस दिन कुछ विशेष धार्मिक उपाय और शुभ कार्य करने की परंपरा है, जिनमें से एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय है —
घर में कुबेराक्ष का पौधा लगाना।
वास्तु शास्त्र और स्कंद पुराण में उल्लेख है कि धनतेरस के दिन यदि व्यक्ति अपने घर या कार्यस्थल पर शुभ पौधे रोपता है, तो देवी लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
इसीलिए कुबेराक्ष का पौधा धनतेरस पर लगाना न केवल शुभ, बल्कि आर्थिक उन्नति और रोग-निवारण का प्रतीक भी है।
कुबेराक्ष पौधे (Jade Plant) का धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व
कुबेराक्ष पौधा, जिसे संस्कृत में कुबेराक्षी वृक्ष कहा गया है, गरुड़ पुराण और वृक्षायुर्वेद में एक
पवित्र औषधीय पौधे के रूप में वर्णित है।
यह पौधा धन, वैभव और दीर्घायु का द्योतक माना गया है।
पद्म पुराण में कहा गया है —
“यत्र कुबेराक्षं तिष्ठति, तत्र धनं न ह्रियते।”
अर्थात — “जहां कुबेराक्ष पौधा स्थापित होता है, वहां से धन और सौभाग्य कभी नहीं जाता।”
इस पौधे की पत्तियाँ और फल वात-पित्त विकारों में उपयोगी बताए गए हैं।
यह वायु-शुद्धिकरण के साथ-साथ घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है।
धनतेरस के दिन इस पौधे को लगाने से लक्ष्मी और कुबेर देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
कुबेराक्ष घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और दृष्टिदोष (evil eye) से भी रक्षा करता है।
कुबेराक्ष पौधे (Jade Plant) के चमत्कारिक लाभ
कुबेराक्ष पौधे को “धन का आकर्षक चुम्बक” कहा गया है। लक्ष्मी तंत्र में उल्लेख है कि यह पौधा
सात प्रकार की समृद्धियों — धन, धान्य, स्वास्थ्य, कीर्ति, संतोष, सौभाग्य और आरोग्य — को आकर्षित करता है।
इसके प्रमुख लाभ :
- आर्थिक उन्नति: कुबेराक्ष का पौधा धन के प्रवाह को बढ़ाता है और धन की स्थिरता सुनिश्चित करता है।
- रोगों से रक्षा: इसकी पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं, जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और रोगों से रक्षा करते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: घर में यह पौधा रखने से मन शांत रहता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- वास्तु सुधार: यह पौधा वास्तु दोषों को संतुलित करता है और उत्तर दिशा में स्थापित करने पर अत्यधिक शुभ फल देता है।
वृक्षायुर्वेद के अनुसार, कुबेराक्ष के पास बैठने से मानसिक तनाव कम होता है और बुद्धि का विकास होता है।
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कुबेराक्ष पौधा(Jade Plant) लगाने का शुभ स्थान और दिशा
कुबेराक्ष पौधे को धनतेरस पर स्थापित करने के लिए
घर का मुख्य द्वार, उद्यान या पूजा का कोना सबसे उपयुक्त माना गया है।
विशेष रूप से उत्तर दिशा में इसे रखना शुभ होता है, क्योंकि यह कुबेर देव की दिशा कहलाती है।
वास्तु शास्त्र कहता है —
“उत्तरदिक् कुबेरस्थानं धनवृद्धिकरं भवेत्।”
अर्थात — उत्तर दिशा में पौधा या धनस्थान स्थापित करने से धन में वृद्धि होती है।
इस पौधे को प्रतिदिन स्वच्छ जल से सींचना चाहिए और हफ्ते में एक बार तुलसी या गंगाजल छिड़कना शुभ रहता है।
इससे पौधा सदाबहार बना रहता है और इसके प्रभाव अधिक प्रबल होते हैं।
धनतेरस पर कुबेराक्ष पौधे की पूजा विधि
धनतेरस के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद पूजा स्थल पर या मुख्य द्वार के पास कुबेराक्ष का पौधा रखें।
सबसे पहले गंगाजल से पौधे को पवित्र करें और साफ जल से धोएं।
फिर पौधे के पास दीपक जलाएं और हल्दी, चावल व फूल चढ़ाएं।
अब भगवान कुबेर का ध्यान करते हुए यह मंत्र जपें —
“ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः।”
दिन में एक बार दीप जलाकर कुबेराक्ष पौधे की आराधना करें और
माता लक्ष्मी से धन-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
लक्ष्मी तंत्र के अनुसार, इस पौधे की पूजा से कुबेर देव का आशीर्वाद स्थायी होता है और घर में धन की स्थिरता बनी रहती है।
कुबेराक्ष पौधा (Jade Plant): समृद्धि और आरोग्य का प्रतीक
धनतेरस पर कुबेराक्ष पौधा लगाना एक सरल किंतु अत्यंत प्रभावशाली उपाय है।
यह न केवल आर्थिक स्थिरता देता है बल्कि घर के वातावरण को शांत और सकारात्मक बनाता है।
इसके औषधीय और आध्यात्मिक गुण इसे अक्षय सौभाग्य का पौधा बनाते हैं।
गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि “जो व्यक्ति शुभ दिन पर पुण्यवृक्ष रोपता है, उसके कुल में दरिद्रता कभी नहीं ठहरती।”
इसी कारण धनतेरस पर पौधारोपण, विशेषकर कुबेराक्ष का, धन, आरोग्य और मंगल का प्रतीक माना गया है।
निष्कर्ष :
धनतेरस 2025 पर कुबेराक्ष पौधा लगाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है।
यह पौधा लक्ष्मी-कुबेर की कृपा के साथ-साथ प्रकृति और स्वास्थ्य की शक्ति का भी प्रतीक है।
धनतेरस के इस शुभ अवसर पर इसे अपने घर में स्थापित करें और अनुभव करें —
“जहां कुबेराक्ष है, वहां दरिद्रता नहीं, केवल समृद्धि का निवास है।”