गोवर्धन पर्व 2025 : गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

गोवर्धन पर्व हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और प्रकृति पूजन की परंपरा से जुड़ा है। यह दीपावली के अगले दिन, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिन केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रकृति, गौ, अन्न और कृषि जीवन के प्रति आभार प्रकट करने का भी अवसर है।
विष्णु पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, यह पर्व मनुष्य के कर्म, कृतज्ञता और विनम्रता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति के प्रति सम्मान और संतुलन ही सच्चा धर्म है।
2025 में गोवर्धन पर्व 22 अक्टूबर (बुधवार) को मनाया जाएगा। यह दिन भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना गया है। इस पूजा से वर्षा, अकाल, विपत्तियों और रोगों से रक्षा की कामना की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें विविध प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
शुभ मुहूर्त :
2025 में गोवर्धन पूजा का मुख्य दिन बुधवार, 22 अक्टूबर को निर्धारित है।
- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर, शाम 5:54 बजे
- तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर, शाम 8:16 बजे
पूजा के दो प्रमुख मुहूर्त:
- प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक (2 घंटे 15 मिनट)
- सायंकाल मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक
सूर्योदय के निकट किया गया पूजन अत्यंत शुभ फल देता है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि उचित काल में किया गया गोवर्धन पूजन समृद्धि, आरोग्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
Read Also: अयोध्या में राम का आगमन और गणेश-लक्ष्मी पूजन का रहस्य
गोवर्धन पूजा विधि :
प्रातः स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के आंगन या द्वार पर गोबर से भूमि को लीपें। गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक चित्र बनाकर उसके चारों ओर छोटी-छोटी गौ, बछड़े और वृक्षों के चित्र बनाएँ। गर्ग संहिता में कहा गया है कि “गोवर्धन का पूजन तभी पूर्ण माना जाता है जब उसमें गौ पूजन भी सम्मिलित हो।”
पूजा सामग्री में रोली, चंदन, अक्षत, दूध, दही, खीर, बताशे, पुष्प, पान-सुपारी, दीपक और अगरबत्ती रखें। संध्या के समय इन सभी सामग्रियों को थाली में सजाकर गोवर्धन महाराज के समक्ष अर्पित करें। दीप जलाकर मंत्रोच्चार करें —
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।”
गाय-बैल की पूजा करें, उन्हें तिलक लगाएँ, और यदि घर में गाय हो तो उसके सींगों पर गेरू और तेल का लेप लगाएँ। पूजा के उपरांत अन्नकूट प्रसाद (विविध भोजन) भगवान को अर्पित कर परिवार और अतिथियों में वितरित करें।
पद्म पुराण में कहा गया है कि अन्नदान और गौसेवा इस दिन किए गए सभी व्रतों में श्रेष्ठ माने गए हैं। ब्रह्मचर्य, सात्त्विक भोजन और दान-पुण्य का पालन करना इस दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व और लाभ :
गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और सामाजिक चेतना का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रकृति की रक्षा और उसका सम्मान हमारे जीवन का अभिन्न धर्म है।
वायु पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि गोवर्धन पूजा से व्यक्ति के जीवन में अन्न, धन, आरोग्य और दीर्घायु की वृद्धि होती है। यह पर्व इंद्र के अहंकार पर विनम्रता की विजय का प्रतीक है, जो हमें सिखाता है कि सच्चा बल श्रद्धा और सेवा में निहित है।
ब्रजमंडल में इस दिन गोवर्धन परिक्रमा (21 किलोमीटर) का विशेष महत्व है। इसे करने से पापों का नाश होता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। जो भक्त सच्चे मन से इस दिन अन्नकूट और गौसेवा करता है, उसे भगवान श्रीकृष्ण का अखंड आशीर्वाद प्राप्त होता है।
निष्कर्ष :
गोवर्धन पर्व 2025 केवल भगवान श्रीकृष्ण की स्मृति का उत्सव नहीं, बल्कि यह प्रकृति, गौ, अन्न और विनम्रता के प्रति आभार का पर्व है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चा धर्म केवल पूजा-पाठ में नहीं, बल्कि कृतज्ञता, सेवा और पर्यावरण संरक्षण में निहित है। श्रीकृष्ण ने जैसे गोवर्धन पर्वत के माध्यम से मानवता को प्रकृति के प्रति समर्पण का संदेश दिया, वैसे ही यह पर्व आज भी हमें विनम्रता में विजय का पथ दिखाता है।