शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती क्यों पढ़ी जाती है? इसका लाभ, विधि और धार्मिक महत्व

शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक चलने वाले इन नौ दिनों में भक्त माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। यह पर्व केवल देवी की उपासना ही नहीं, बल्कि शक्ति, भक्ति और साधना का गहन अनुभव भी है। नवरात्रि के दौरान एक विशेष ग्रंथ का पाठ अनिवार्य माना गया है — दुर्गा सप्तशती, जिसे देवी महात्म्य या चंडी पाठ भी कहा जाता है।
यह ग्रंथ केवल श्लोकों का संग्रह नहीं, बल्कि एक अद्भुत आध्यात्मिक साधना है, जिसके माध्यम से भक्त न केवल देवी का आशीर्वाद पाते हैं, बल्कि अपने जीवन की बाधाओं, दुखों और नकारात्मक शक्तियों से भी मुक्ति प्राप्त करते हैं।
दुर्गा सप्तशती क्या है?
दुर्गा सप्तशती मार्कण्डेय पुराण का एक अमूल्य हिस्सा है। इसमें 13 अध्याय और 700 श्लोक हैं, इसीलिए इसे सप्तशती कहा जाता है। इसे देवी महात्म्य भी कहते हैं, क्योंकि इसमें देवी की महिमा, उनकी दैवीय शक्तियों और उनकी लीलाओं का वर्णन है।
यह ग्रंथ तीन चरित्रों में विभाजित है:
- प्रथम चरित्र (महाकाली): यह अध्याय 1 से संबंधित है। इसमें देवी महाकाली की महिमा का वर्णन किया गया है। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के योगनिद्रा में चले जाने पर मधु और कैटभ नामक दो शक्तिशाली असुर उत्पन्न हुए। इन असुरों ने ब्रह्मा जी को मारना चाहा। तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को जगाने के लिए महाकाली का आह्वान किया। महाकाली ने प्रकट होकर विष्णु को जगाया और फिर विष्णु ने उन दोनों असुरों का वध किया। यह चरित्र सृष्टि की शुरुआत में ही देवी की शक्ति को स्थापित करता है।
- मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी): यह अध्याय 2 से 4 तक फैला हुआ है। इसमें देवी महालक्ष्मी की कथा है, जो महिषासुर नामक शक्तिशाली दैत्य का संहार करती हैं। महिषासुर ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। तब सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से एक दिव्य तेज उत्पन्न किया, जिससे देवी दुर्गा का जन्म हुआ। महिषासुर के साथ देवी का भयंकर युद्ध हुआ और अंत में देवी ने उसका वध कर दिया। यह चरित्र देवी के विकराल और न्यायप्रिय रूप को दर्शाता है।
- उत्तर चरित्र (महासरस्वती): यह सबसे बड़ा चरित्र है, जिसमें अध्याय 5 से 13 तक शामिल हैं। इसमें देवी महासरस्वती की महिमा का वर्णन है, जो शुंभ और निशुंभ नामक दो महाशक्तिशाली असुरों का वध करती हैं। इन दोनों असुरों ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था और देवताओं को परेशान कर रहे थे। देवी महासरस्वती ने अपने विभिन्न रूपों जैसे चंडिका, चामुंडा और कौशिकी के माध्यम से रक्तबीज, धूम्रलोचन और अन्य असुरों सहित शुंभ-निशुंभ का अंत किया। यह चरित्र देवी के ज्ञान, साहस और विजय का प्रतीक है।
देवीमहात्म्य (अध्याय 5, श्लोक 16) में कहा गया है:
“या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
अर्थात, वह देवी जो समस्त प्राणियों में मातृरूप से स्थित हैं, उन्हें बार-बार प्रणाम है।
दुर्गा सप्तशती क्यों पढ़ी जाती है?
1. माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए
दुर्गा सप्तशती, जिसे देवी महात्म्य या चंडी पाठ भी कहा जाता है, माँ दुर्गा की महिमा का विस्तार से वर्णन करती है। नवरात्रि या विशेष अवसरों पर इसका पाठ करने से भक्तों को माँ की विशेष कृपा मिलती है।
देवीमहात्म्य (अध्याय 11, श्लोक 6):
“यः पठेत् प्रातरुत्थाय श्रद्धया च समाहितः। स सर्वान् कामानाप्नोति स्त्री वा पुरुषो नरः॥”
अर्थात, जो व्यक्ति श्रद्धा और एकाग्रता से प्रतिदिन इसका पाठ करता है, वह स्त्री हो या पुरुष, अपने सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति करता है।
2. बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक
इस ग्रंथ में मधु-कैटभ, महिषासुर, शुंभ-निशुंभ जैसे राक्षसों का वध और देवी की विजय का वर्णन है। यह संदेश देता है कि जब भी अधर्म और अन्याय बढ़ता है, तो देवी रूपी शक्ति बुराई का नाश कर धर्म की रक्षा करती है।
3. आध्यात्मिक और मानसिक शांति
दुर्गा सप्तशती के श्लोक मंत्र रूप में माने जाते हैं। इनके पाठ से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, भय समाप्त होता है और साधक के मन में शांति और आत्मविश्वास का संचार होता है।
4. पापों का नाश और पितृ ऋण से मुक्ति
पौराणिक मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से न केवल वर्तमान जन्म के पाप, बल्कि पूर्वजन्म के दोष भी नष्ट हो जाते हैं। यह पितृ दोष और ग्रहदोष शांति के लिए भी विशेष प्रभावकारी माना गया है।
5. धन, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति
नवरात्रि में सप्तशती का पाठ करने से देवी लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती—तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे साधक को धन, वैभव, स्वास्थ्य और विद्या की प्राप्ति होती है।
मार्कण्डेय पुराण में कहा गया है:
“सप्तशत्याः पाठमात्रेण सर्वदुःखक्षयो भवेत्।”
अर्थात, केवल सप्तशती का पाठ करने मात्र से ही सभी दुखों का नाश हो जाता है।
6. साधना और आत्मशुद्धि
यह पाठ साधना की दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली है। जब भक्त नवरात्रि में पूरे नियम और श्रद्धा से दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, तो उसकी आत्मा शुद्ध होती है और वह आध्यात्मिक रूप से उन्नति करता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ
- आध्यात्मिक लाभ : यह ग्रंथ साधक को ईश्वर के प्रति श्रद्धा, आत्मज्ञान और आत्मबल प्रदान करता है।
- मानसिक शांति : नियमित पाठ करने से तनाव और चिंता समाप्त होती है।
- सुरक्षा और रक्षा : नकारात्मक ऊर्जा, जादू-टोना और बुरी दृष्टि से रक्षा होती है।
- समृद्धि और ऐश्वर्य : देवी लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- स्वास्थ्य और दीर्घायु : पाठ करने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति : यह ग्रंथ जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति की ओर ले जाता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ की विधि
- शुद्धता और तैयारी : प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- प्रतिमा या चित्र की स्थापना : माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
- प्रारंभिक पूजन : गणेश जी, नवग्रह और कुलदेवता की पूजा कर माँ दुर्गा का आवाहन करें।
- पाठ का क्रम :
- देवी कवच
- अर्गला स्तोत्र
- कीलक स्तोत्र
- दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय
- देवी सूक्त और आरती
- हवन और आहुति : पाठ के बाद हवन करें और देवी मंत्रों से आहुति दें।
- प्रसाद और दान : प्रसाद बाँटें और ब्राह्मणों व कन्याओं का पूजन एवम् भोजन कराएँ।
देवीमहात्म्य, अध्याय 12, श्लोक 12 :
“एतच्छ्रुत्वा च यो नित्यं पठेत् श्रद्धान्वितो नरः। तस्य वित्तं च वंशं च सर्वं त्रैलोक्यमंगलम्॥”
अर्थात, जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक प्रतिदिन इसका पाठ करता है, उसके वंश और संपत्ति में सदैव वृद्धि होती है और उसे त्रिलोक का मंगल प्राप्त होता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दुर्गा सप्तशती केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का आधार है। यह हमें नारी शक्ति की महिमा, धर्म और नैतिकता की शिक्षा और भक्ति के महत्व को समझाता है।
- यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी प्रबल क्यों न हो, सत्य और धर्म की जीत निश्चित है।
- यह भारतीय समाज में स्त्री शक्ति की सर्वोच्चता को दर्शाता है।
- नवरात्रि में इसका पाठ पीढ़ी दर पीढ़ी शक्ति साधना की परंपरा को जीवित रखता है।
निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पाठ केवल देवी की उपासना ही नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन, शांति, समृद्धि और आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्ग है। माँ दुर्गा की महिमा का यह ग्रंथ हमें यह सिखाता है कि जब हम श्रद्धा और विश्वास के साथ भक्ति करते हैं, तो देवी हमें सभी दुखों और बाधाओं से मुक्त कर देती हैं।