दीपावली 2025: लक्ष्मी पूजन के दिन मुहूर्त ट्रेडिंग का महत्व और इतिहास

दीपावली, भारत का सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार, न केवल प्रकाश और खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह समृद्धि और आर्थिक प्रगति का भी अवसर माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ एक विशेष परंपरा भी जुड़ी है, जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहा जाता है। यह भारतीय शेयर बाजारों में दीपावली के दिन आयोजित होने वाली एक विशेष ट्रेडिंग सत्र है, जो सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

मुहूर्त ट्रेडिंग क्या है?

मुहूर्त ट्रेडिंग भारत के प्रमुख शेयर बाजारों, जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), द्वारा दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त में आयोजित की जाने वाली एक विशेष ट्रेडिंग अवधि है। यह सत्र आमतौर पर एक घंटे का होता है और इसे सांस्कृतिक परंपराओं के साथ जोड़कर समृद्धि और नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान निवेशक छोटी-छोटी खरीदारी करते हैं, यह विश्वास रखते हुए कि यह उनके लिए वित्तीय समृद्धि लाएगा।

मुहूर्त ट्रेडिंग का इतिहास :

मुहूर्त ट्रेडिंग की परंपरा भारत में 1957 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) द्वारा शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य दीपावली के शुभ अवसर को वित्तीय निवेश के साथ जोड़ना था। हिंदू धर्म में दीपावली को धन, समृद्धि और नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन लोग नई खाता बही शुरू करते हैं, नए व्यवसाय की शुरुआत करते हैं और निवेश करते हैं। इसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए BSE ने इस विशेष ट्रेडिंग सत्र की शुरुआत की, जिसे बाद में NSE ने भी अपनाया।

1957 में जब यह परंपरा शुरू हुई, तब इसे “लक्ष्मी पूजन सत्र” के रूप में जाना जाता था। उस समय निवेशक और व्यापारी अपने कारोबार को बढ़ाने और समृद्धि की कामना के लिए इस दिन छोटे-मोटे निवेश करते थे। धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे भारत में लोकप्रिय हो गई और आज यह शेयर बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।

लक्ष्मी पूजन और मुहूर्त ट्रेडिंग का संबंध :

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दीपावली की रात को माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और गणेश जी की पूजा की जाती है। यह दिन नए निवेश, व्यापार और वित्तीय गतिविधियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मुहूर्त ट्रेडिंग इस धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास का एक आधुनिक स्वरूप है। निवेशक इस दिन शेयर बाजार में छोटी मात्रा में निवेश करके यह विश्वास रखते हैं कि यह उनके लिए पूरे वर्ष समृद्धि और लाभ लाएगा।

इसके अलावा, दीपावली को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी माना जाता है, खासकर व्यापारी समुदाय में। इस दिन लोग अपने पुराने हिसाब-किताब बंद करते हैं और नई खाता बही शुरू करते हैं। मुहूर्त ट्रेडिंग इस परंपरा का एक हिस्सा बन गया है, जहां निवेशक नई शुरुआत के रूप में शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं।

मुहूर्त ट्रेडिंग 2025 : तिथि और समय

  • दीपावली 2025 की तिथि : 20 अक्टूबर 2025, सोमवार
  • मुहूर्त ट्रेडिंग समय (संभावित) : शाम 6:00 बजे से 7:00 बजे तक
  • समय का निर्धारण ज्योतिषीय गणना और लक्ष्मी पूजन मुहूर्त के आधार पर होता है।

मुहूर्त ट्रेडिंग की विशेषताएं :

शुभ समय : मुहूर्त ट्रेडिंग का समय ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यह आमतौर पर दीपावली की शाम को लक्ष्मी पूजन के समय आयोजित होता है।

सीमित अवधि : यह सत्र केवल एक घंटे के लिए होता है, जिसमें सभी प्रकार की ट्रेडिंग (इक्विटी, डेरिवेटिव्स, कमोडिटी आदि) उपलब्ध होती हैं।

सकारात्मक भावना : इस दिन बाजार में सकारात्मक माहौल रहता है, क्योंकि निवेशक इसे शुभ मानते हैं। इससे बाजार में खरीदारी की प्रवृत्ति बढ़ती है, और अक्सर सूचकांक में तेजी देखी जाती है।

सांकेतिक निवेश : कई निवेशक इस दिन प्रतीकात्मक रूप से छोटी राशि का निवेश करते हैं, ताकि यह उनके लिए शुभता और समृद्धि का प्रतीक बने।

मुहूर्त ट्रेडिंग का महत्व :

मुहूर्त ट्रेडिंग केवल एक वित्तीय गतिविधि नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का एक अनूठा संगम है। यह सत्र निवेशकों में सकारात्मकता और विश्वास जगाता है, जो पूरे वर्ष के लिए आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। यह भारतीय परंपराओं को आधुनिक वित्तीय प्रणाली के साथ जोड़ता है, जिससे सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान होता है। कई नए निवेशक इस शुभ अवसर पर शेयर बाजार में प्रवेश करते हैं, जिससे बाजार की पहुंच बढ़ती है। हालांकि, निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि मुहूर्त ट्रेडिंग प्रतीकात्मक होने के साथ-साथ जोखिम भी लेकर आती है। बाजार की अस्थिरता और आर्थिक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए निवेश के निर्णय सोच-समझकर लेने चाहिए।

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