सावन पूर्णिमा का महत्व – क्यों है यह तिथि विशेष?

सावन पूर्णिमा हिन्दू पंचांग की सबसे पवित्र और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। यह केवल चंद्रमा की पूर्णता का पर्व नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव की उपासना का दिव्य अवसर भी प्रदान करती है। सावन मास स्वयं भगवान शिव को समर्पित महीना है, और इस महीने की पूर्णिमा को आध्यात्मिक साधना, व्रत, दान-पुण्य और देव पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त अपने भीतर की नकारात्मकता का नाश करने और जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरने के लिए शिव पूजा करते हैं।

सावन पूर्णिमा की पौराणिक मान्यता – धर्मग्रंथों में उल्लेखित कथाएँ

सावन पूर्णिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हमारे धर्मग्रंथों में वर्णित हैं। एक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। शिव से संबंधित मान्यता यह है कि इस दिन महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं, विशेषतः जब भक्त विधिपूर्वक शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और मंत्र-जप करते हैं।
शिव पुराण, स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण में इस तिथि के महत्व का विशेष वर्णन मिलता है। यह तिथि देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति पाने का श्रेष्ठ अवसर मानी जाती है।

सावन पूर्णिमा पर शिव पूजा का महत्व – क्यों होती है यह पूजा फलदायी?

सावन मास में की गई हर पूजा अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है, परंतु सावन पूर्णिमा पर की गई शिव पूजा सौगुना फल देने वाली होती है। इस दिन की गई पूजा और व्रत से व्यक्ति के जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

  • यह पूजा पाप और रोग-दोषों का नाश करती है।
  • कालसर्प दोष, विवाह में बाधाएँ और संतान से जुड़ी समस्याएँ दूर होती हैं।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से शत्रु नाश, आर्थिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • जीवन में स्थायित्व, सौभाग्य और समृद्धि आती है।

सावन पूर्णिमा पर शिव पूजन की विधि – कैसे करें सही पूजा?

सावन पूर्णिमा पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद शिव मंदिर जाएँ या घर पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा करें।

  • सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल अर्पित करें।
  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर) से अभिषेक करें।
  • बेलपत्र, आक, धतूरा, कमल और अन्य पुष्प भगवान शिव को अर्पित करें।
  • रुद्राक्ष माला से “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
  • शिव चालीसा, रुद्राष्टक या लघु रुद्र का पाठ करें।
  • अंत में दीप, धूप और नैवेद्य अर्पित करके आरती करें।
    यह पूजा पूर्ण श्रद्धा, स्वच्छता और नियमों का पालन करते हुए करनी चाहिए।

शिव और पर्यावरण – क्यों जुड़ा है यह पर्व प्रकृति संरक्षण से?

भगवान शिव को प्रकृति का अधिपति कहा गया है। सावन मास में वर्षा और हरियाली का वातावरण शिव के प्राकृतिक स्वरूप की अभिव्यक्ति है। सावन पूर्णिमा पर पौधारोपण, जल संरक्षण और पर्यावरण को संरक्षित करने का संकल्प लेना शिवभक्ति का आधुनिक रूप है। यह पर्व हमें सिखाता है कि भगवान शिव की कृपा पाने के लिए हमें प्रकृति और सभी जीवों का सम्मान करना चाहिए।

सावन पूर्णिमा पर करें ये 5 उपाय : बदल जाएगी आपकी तक़दीर

यदि इस दिन कुछ विशेष धार्मिक उपाय श्रद्धा और नियमपूर्वक किए जाएँ, तो जीवन में रुका हुआ भाग्य भी जाग सकता है।

1. शिवलिंग पर चढ़ाएं केसर मिला हुआ दूध

शिवलिंग पर केसर मिला हुआ शीतल दूध चढ़ाना मनोकामनाओं की पूर्ति का श्रेष्ठ उपाय माना गया है। केसर धन, वैभव और सौभाग्य का प्रतीक है, जबकि दूध चंद्रमा और शांति का द्योतक है। ये दोनों मिलकर जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।
ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर यह दूध अर्पित करें। अंत में भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें। इस उपाय से आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि आती है।

2. चावल और दूध का दान करें

पूर्णिमा के दिन चावल और दूध का दान करना चंद्र दोष, मानसिक अशांति और दुर्भाग्य को दूर करने का प्रभावी उपाय है। विशेषतः सावन पूर्णिमा पर यह उपाय कुंडली के नकारात्मक ग्रहों को शांत करने में सहायक होता है।
एक मुट्ठी चावल और थोड़ा सा दूध किसी जरूरतमंद, गरीब या ब्राह्मण को दान करें। दान देते समय मन ही मन “ॐ सोमाय नमः” मंत्र का जप करें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और जीवन में स्थिरता आती है।

3. महामृत्युंजय मंत्र का जप करें

सावन पूर्णिमा के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप विशेष फलदायक होता है। यह मंत्र मृत्यु तुल्य कष्टों से रक्षा करता है, रोगों का नाश करता है और आयु तथा आरोग्य में वृद्धि करता है।
शांत वातावरण में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें और 108 बार यह मंत्र जपें:

ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
इस उपाय को करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक बल की वृद्धि होगी।

4. शिव मंदिर में दीपदान करें

दीपक जलाना आध्यात्मिक रूप से अंधकार को दूर कर ज्ञान और सौभाग्य की ओर बढ़ने का प्रतीक है। सावन पूर्णिमा की रात शिव मंदिर में दीपदान करना विशेष फल देता है, विशेषकर जीवन में रुकावटें, कर्ज और मानसिक तनाव दूर करने के लिए।
पीतल या मिट्टी का दीपक लें, उसमें गाय का शुद्ध घी डालें। दीपक में रुई की बत्ती लगाकर “ॐ शिवाय नमः” कहते हुए शिव मंदिर में जलाएं। दीपक शिवलिंग के सामने रखें और मौन साधना करें। इस उपाय को करने से घर से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

5. बेलपत्र पर “राम” लिखकर अर्पित करें

बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और उस पर “राम” नाम लिखकर चढ़ाने से शिवजी तुरंत प्रसन्न होते हैं। यह उपाय मनोकामना पूर्ति और जीवन की अड़चनों को दूर करने के लिए सिद्ध माना गया है।
बेलपत्र लें और उस पर चंदन या हल्दी से “राम” लिखें। इसे शिवलिंग पर अर्पित करें और मन में अपनी कामना दोहराएं। ध्यान रखें कि बेलपत्र टूटा हुआ या कीड़े लगा न हो। इस उपाय से देवदोष, पितृदोष या गृह दोष के प्रभाव कम होते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष 

सावन पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का अवसर है। इस दिन की गई पूजा, व्रत और उपाय भक्त को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर सुख, सौभाग्य और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
श्रद्धा, भक्ति और नियमों के साथ की गई शिव उपासना निश्चित रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करती है और शिव कृपा प्राप्त होती है।

Scroll to Top